शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक की लहर, पीएम मोदी समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने जताया दु:ख
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को 99 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे। परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में ली आज दोपहर 3.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आजादी की लड़ाई में भाग लेकर शंकराचार्य जेल गए थे। राम मंदिर निर्माण के लिए भी उन्होंने लंबी कानून लड़ाई लड़ी थी। हाल ही में तीजा के दिन स्वामी जी का 99वें जन्मदिन मनाया गया था।नौ वर्ष की छोटी सी उम्र में जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने घर का त्याग कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली। ये वो वक्त था जब देश में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई चल रही थी। देश में आंदोलन हो रहे थे। जब 1942 में गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया तो ये भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए। उस वक्त इनकी आयु 19 साल की थी। इस उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में पहचाने जाने लगे थे। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ महीने और अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी। जगदगुरू शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। 1981 में इनको शंकराचार्य की उपाधि मिली। 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। राजनीति में भी काफी सक्रीय थे। अक्सर तमाम मुद्दों में सरकार के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मोदी ने ट्विटर पर अपने शोक संदेश में कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति। वहीं कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की उदारता व सद्भावना पर उनके साथ चर्चा करने का मौका मिला। स्वामी जी ने मेरे पिता के रहते हुए 1990 में हमारी गृहप्रवेश की पूजा कराई थी। ये पूरे समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में स्वामी जी के अनुयायियों को कष्ट सहने का साहस दे। ॐ शांति!
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