वन महकमें की लापरवाही, बेजुबान हाथियों की जान पर पड़ रही भारी…देखिए विडिओ

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वन महकमे की लापरवाही, बेजुबान हाथियों की जान पर पड़ रही भारी

लालकुआँ। वनों में भोजन की पर्याप्त व्यवस्था ना होने से भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हाथियों की जान मुसीबत में पड़ती दिखाई दे रही है।वन महकमें की यह बड़ी लापरवाही बेजुबान हाथियों की जान पर भारी पड़ रही है। बीते कई सालों से रेलगाड़ी की चपेट में आकर लगभग आधा दर्जन से अधिक हाथी अपनी जान गवां चुके हैैं या गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। लेकिन वन महकमें के फील्ड से लेकर उच्च कुर्सियों पर विराजमान अधिकारी इस मामले में अभी तक मूकदर्शक बने बैठे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर वन विभाग जैसा भारी-भरकम महकमा इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कार्रवाई अमल में क्यों नहीं ला रहा है ताकि हाथियों समेत अन्य वन्यजीव वनों में सुरक्षित एवं स्वछंद रूप से विचरण कर सकें। लेकिन एअरकंडीशनर कमरों में बैठे वन विभाग के बड़े अधिकारी इस काम में अब तक विफल साबित हुए हैं।
बताते चलें कि लालकुआँ का कुछ क्षेत्र हाथी कारीडोर में आता है ऐसे में इस क्षेत्र में हाथियों का विचरण स्वभाविक है।
इधर वनों में वन्यजीवों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था ना होने के कारण हाथी अपनी भूख मिटाने के लिए अक्सर सीमैप, बिन्दुखत्ता व हल्दूचौड़ क्षेत्रों में अक्सर आ धमकते हैैं और किसानों की फसलों को खाने के साथ-साथ तहस-नहस भी कर देते हैं।
वहीं तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा व हल्द्वानी रेंज में आने वाले इस वन क्षेत्र के बीच से होकर ही हल्द्वानी-बरेली व हल्द्वानी-रुद्रपुर और लालकुआँ-काशीपुर रेलवे ट्रैक गुजरता है। साथ ही नेशनल हाईवे 87/109 काठगोदाम-रामपुर तथा हल्द्वानी-बरेली रोड भी है जिस पर लगातार रेलगाड़ियों तथा भारी वाहन गुजरते हैं। ऐसे में वन्यजीवों को रेलगाड़ियों और नेशनल हाईवे पर रात-दिन तेज रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों से लगातार खतरा बना रहता है। ऐसे में उक्त क्षेत्र में भोजन की तलाश में हाथियों के झुंड अक्सर रेलवे ट्रैक व हाईवे को पार करते रहते हैं। जिसके चलते उनकी जान को हर समय खतरा बना रहता है।
बताया जा रहा है कि पूर्व में हुई दुर्घटनाओं के बाद रेलवे और वन विभाग के बीच रात्रि के समय गूलरभोज, पन्तनगर, रूद्रपुर तथा हल्द्वानी मार्ग पर धीमी गति से रेलगाड़ी चलाने पर समझौता हुआ था। बावजूद इसके वन्यजीवों के साथ दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जिनमें अब तक आधा दर्जन से अधिक हाथियों को असमय अपनी जान गंवानी पड़ी है या वे गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि वन विभाग द्वारा वनों में हाथियों के भोजन, पानी की पर्याप्त व्यवस्था ना किया जाना सबसे बड़ा कारण है। जिसके चलते वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी के साथ-साथ वन विभाग और रेल विभाग में आपसी तालमेल का ना होना भी वन्यजीवों खासकर हाथियों के लिए काल साबित हो रहा है। ऐसे में वन महकमें के जिम्मेदार अधिकारियों को रेलगाड़ियों से वन्यजीवों को होने वाली उक्त घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
वहीं मंगलवार की रात्रि तराई केंद्रीय वन विभाग के टांडा रेंज में रेलगाड़ी की चपेट में आने से एक मादा हथनी गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल हथनी के पैर में गम्भीर चोटें आयी हैं।
बताया जा रहा है कि मंगलवार की रात दिल्ली जाने वाली रानीखेत एक्सप्रेस से लालकुआँ से लगभ दो किलोमीटर आगे टांडा रेंज में इस रेलगाड़ी के आगे एक वयस्क मादा हथनी आकर गंभीर रूप से घायल हो गई। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल हथनी का उपचार किया गया।

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वन महकमें की लापरवाही, बेजुबान हाथियों की जान पर पड़ रही भारी

लालकुआँ। वनों में भोजन की पर्याप्त व्यवस्था ना होने से भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हाथियों की जान मुसीबत में पड़ती दिखाई दे रही है।वन महकमें की यह बड़ी लापरवाही बेजुबान हाथियों की जान पर भारी पड़ रही है। बीते कई सालों से रेलगाड़ी की चपेट में आकर लगभग आधा दर्जन से अधिक हाथी अपनी जान गवां चुके हैैं या गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। लेकिन वन महकमें के फील्ड से लेकर उच्च कुर्सियों पर विराजमान अधिकारी इस मामले में अभी तक मूकदर्शक बने बैठे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर वन विभाग जैसा भारी-भरकम महकमा इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कार्रवाई अमल में क्यों नहीं ला रहा है ताकि हाथियों समेत अन्य वन्यजीव वनों में सुरक्षित एवं स्वछंद रूप से विचरण कर सकें। लेकिन एअरकंडीशनर कमरों में बैठे वन विभाग के बड़े अधिकारी इस काम में अब तक विफल साबित हुए हैं।
बताते चलें कि लालकुआँ का कुछ क्षेत्र हाथी कारीडोर में आता है ऐसे में इस क्षेत्र में हाथियों का विचरण स्वभाविक है।
इधर वनों में वन्यजीवों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था ना होने के कारण हाथी अपनी भूख मिटाने के लिए अक्सर सीमैप, बिन्दुखत्ता व हल्दूचौड़ क्षेत्रों में अक्सर आ धमकते हैैं और किसानों की फसलों को खाने के साथ-साथ तहस-नहस भी कर देते हैं।
वहीं तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा व हल्द्वानी रेंज में आने वाले इस वन क्षेत्र के बीच से होकर ही हल्द्वानी-बरेली व हल्द्वानी-रुद्रपुर और लालकुआँ-काशीपुर रेलवे ट्रैक गुजरता है। साथ ही नेशनल हाईवे 87/109 काठगोदाम-रामपुर तथा हल्द्वानी-बरेली रोड भी है जिस पर लगातार रेलगाड़ियों तथा भारी वाहन गुजरते हैं। ऐसे में वन्यजीवों को रेलगाड़ियों और नेशनल हाईवे पर रात-दिन तेज रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों से लगातार खतरा बना रहता है। ऐसे में उक्त क्षेत्र में भोजन की तलाश में हाथियों के झुंड अक्सर रेलवे ट्रैक व हाईवे को पार करते रहते हैं। जिसके चलते उनकी जान को हर समय खतरा बना रहता है।
बताया जा रहा है कि पूर्व में हुई दुर्घटनाओं के बाद रेलवे और वन विभाग के बीच रात्रि के समय गूलरभोज, पन्तनगर, रूद्रपुर तथा हल्द्वानी मार्ग पर धीमी गति से रेलगाड़ी चलाने पर समझौता हुआ था। बावजूद इसके वन्यजीवों के साथ दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जिनमें अब तक आधा दर्जन से अधिक हाथियों को असमय अपनी जान गंवानी पड़ी है या वे गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि वन विभाग द्वारा वनों में हाथियों के भोजन, पानी की पर्याप्त व्यवस्था ना किया जाना सबसे बड़ा कारण है। जिसके चलते वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी के साथ-साथ वन विभाग और रेल विभाग में आपसी तालमेल का ना होना भी वन्यजीवों खासकर हाथियों के लिए काल साबित हो रहा है। ऐसे में वन महकमें के जिम्मेदार अधिकारियों को रेलगाड़ियों से वन्यजीवों को होने वाली उक्त घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
वहीं मंगलवार की रात्रि तराई केंद्रीय वन विभाग के टांडा रेंज में रेलगाड़ी की चपेट में आने से एक मादा हथनी गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल हथनी के पैर में गम्भीर चोटें आयी हैं।
बताया जा रहा है कि मंगलवार की रात दिल्ली जाने वाली रानीखेत एक्सप्रेस से लालकुआँ से लगभ दो किलोमीटर आगे टांडा रेंज में इस रेलगाड़ी के आगे एक वयस्क मादा हथनी आकर गंभीर रूप से घायल हो गई। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल हथनी का उपचार किया गया।