उच्च न्यायालय ने लालकुआं के नगीना काॅलोनी वासियों की याचिका की खारिज, रेलवे की अतिक्रमण हटाने की तैयारियों का लोगों ने किया विरोध देखिए ताजा वीडियो…

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उच्च न्यायालय ने लालकुआं के नगीना काॅलोनी वासियों की याचिका की खारिज, रेलवे ने शुरू की अतिक्रमण हटाने की तैयारी

लालकुआं। यहां नगीना काॅलोनी से रेलवे ने अतिक्रमण हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि रेलवे द्वारा कल बृहस्पतिवार 18 मई को अतिक्रमण हटाया जायेगा। जिसके तहत आज बुधवार शाम को रेलवे द्वारा कॉलोनी में मुनादी भी कराई गई। इस दौरान कॉलोनी वासियों द्वारा रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की गई जिसके बाद टीम मौके से वापस लौटना पड़ा।
बताते चलें कि लालकुआं के नगीना काॅलोनी निवासी आंचल कुमार व चार अन्य ने नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा की रेलवे द्वारा नगीना काॅलोनी को अवैध अतिक्रमण बताते हुए तीन मई को उनके घरों पर कब्जा हटाने के नोटिस चस्पा कर दिए गए जिसकी अंतिम तिथि 18 मई है इसलिए इस पर रोक लगाई जाए।
इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल उच्च न्यायालय ने लालकुआं स्थित नगीना काॅलोनी में रेलवे की भूमि पर करीब चार हजार लोगों के अवैध कब्जा किए जाने के मामले की सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने कब्जाधारियों की याचिका को निरस्त करते हुए रेलवे को अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिए। न्यायालय के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
सुनवाई के दौरान रेलवे के अधिवक्ता राजीव शर्मा ने कोर्ट को अवगत कराया कि 2018 में इस भूमि की राज्य सरकार व रेलवे ने एक साथ जांच शुरू की थी। उस वक्त 84 अवैध अतिक्रमण पाए गए, इसके बाद रेलवे ने कई बार जांच की।वर्तमान में करीब चार हजार लोगों ने टीनशेड बनाकर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। इनको हटाने के लिए रेलवे ने दस दिन का समय दिया है। रेलवे की तरफ से यह भी कहा गया कि इनको हटाने के लिए जिला प्रशासन से पुलिस फोर्स उपलब्ध कराने का पत्र दिया लेकिन जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है।

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बरहाल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद रेलवे द्वारा दशकों से बसी लालकुआं की नगीना काॅलोनी बस्ती को हटाए जाने का संभावना बढ़ गयी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि इस बस्ती को हटाया जाता है तो बेघर होकर यहां के हजारों लोग जिनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं अपना आशियाना छिन जाने के बाद आखिर कहां जायेंगे। मानवता के नाते सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को एक बार इस पर अवश्य गौर करना चाहिए।