हाईकोर्ट ने लालकुऑं स्थित वक्फ संख्या 648 के वक्फ बोर्ड से रिकॉर्ड किये तलब, दुग्ध संघ की वसूली पर भी लगाई रोक

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हाईकोर्ट ने लालकुऑं स्थित वक्फ संख्या 648 के वक्फ बोर्ड से रिकॉर्ड किये तलब, दुग्ध संघ की वसूली पर भी लगाई रोक

नैनीताल/लालकुऑं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लालकुआँ दुग्ध संघ लिमिटेड के भवन इत्यादि की भूमि पर वक्फ बोर्ड की ओर से स्वामित्व का दावा करते हुए 27 लाख की वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है।
वक्फ बोर्ड की ओर से लालकुआँ दुग्ध संघ के भवन, डेयरी इत्यादि की करीब 52 हजार वर्ग फिट भूमि पर दावा करते हुए 10 मार्च 2015 को 29 लाख 25 हजार का वसूली नोटिस दुग्ध संघ को थमा दिया था। वक्फ बोर्ड ने दुग्ध संघ का खाता सीज कर रकम सरकार के खाते में जमा करने के निर्देश दिए थे। 12 दिसंबर 2022 को वक्फ बोर्ड ने करीब 27 लाख की वसूली का नोटिस फिर से लालकुआँ दुग्ध संघ को जारी कर दिया। इस नोटिस को दुग्ध संघ की ओर से याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए वक्फ बोर्ड के वसूली नोटिस पर रोक लगा दी। साथ ही वक्फ बोर्ड से इस मामले से संबंधित समस्त रिकार्ड तलब किए हैं। अगली सुनवाई को 24 नवंबर की तिथि नियत की है।
बताते चलें कि लालकुआँ में बीते 50-60 दशकों से भी अधिक समय से रहते चले आ रहे लगभग 34 दुकानदारों और रिहाइशी लोगों को अचानक वक्फ बोर्ड ने अपना किराएदार बताते हुए उन पर करोड़ों का किराया बकाया निकाल दिया और संबंधित लोगों को किराया बसूली के नोटिस भेज दिए जिसके बाद बकायदा उक्त लोगों की आरसी काटकर तहसील के माध्यम से बसूली प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। इसमें मामले में पूर्व में कई लोगों को तहसील की हवालात में भी बंद किया गया था।
इस मामले में पीड़ित पक्ष ने बताया कि वे लोग 50-60 वर्ष से भी अधिक समय से इस भूमि पर काबिज हैं और बकायदा सरकार द्वारा उन्हें बिजली, पानी और सड़क आदि की सुविधाएँ मुहैय्या कराई गई हैं। नगर पंचायत द्वारा उनसे गृहकर तथा तहबाजारी भी वसूली जाती है।
उक्त लोगों का कहना है कि उनकी काबिज भूमि, दुकानों और रिहाइशी मकानों को किसने, कब और कैसे वक्फ कर दिया गया इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है और वे इस मामले को लेकर मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।