वन तस्करों और वन रक्षकों की मिलीभगत वनों पर पड़ रही भारी, बेखौफ तस्करों ने काट डाले 15 बेशकीमती पेड़

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वन तस्करों और वन रक्षकों की मिलीभगत वनों पर पड़ रही भारी, बेखौफ तस्करों ने काट डाले 15 बेशकीमती पेड़

लालकुआँ। वन तस्कर और वन रक्षकों की मिलीभगत के चलते बेखौफ वन तस्करों ने रंनसाली रेंज में 15 बेशकीमती पेड़ काट डाले। गुर्जर समुदाय के लोगों द्वारा जब इसकी शिकायत वन विभाग से की गई तो विभागीय कर्मी लकड़ी तस्करों के साथ मिलकर उल्टा गुर्जरों को ही झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं।

ताजा मामला लालकुआँ विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी रेंज की रंनसाली रेंज का है जहां बेखौफ वन तस्करों ने खेर, सागौन और शीशम के बेशकीमती पेड़ काट डाले। इसका खुलासा स्थानीय गुर्जरों द्वारा किया गया जिसके बाद लकड़ी तस्करी की शिकायत करने वाले स्थानीय गुर्जर और वन विभाग आमने-सामने आ गए हैं। बताया जा रहा है कि लकड़ी तस्कर और वन विभाग के कर्मचारी अब उन वन गुर्जरों को ही धमकी दे रहे हैं जिन्होंने बेशक़ीमती लकड़ी तस्करी के खेल का बड़ा खुलासा किया है।

तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी की रनसाली रेंज के जंगलों से लकड़ियों की तस्करी काफी समय से चल रही है। यहां वन तस्करों द्वारा जमकर बेशकीमती पेड़ काट रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह सब खेल विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से खेला जा रहा है। वहीं जगंल में हो रही इस अवैध लकड़ी तस्करी की शिकायत जब जगंल में रहने वाले गुर्जर समुदाय के लोगों ने वन विभाग को दी तो वे उल्टे गुर्जर समुदाय के लोगों को ही झूठे मुकदमों में फंसने की धमकी देने लगे। जिसके बाद वन गुर्जरों द्वारा इसकी शिकायत वन विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित पत्र देकर की गई। लेकिन उनके द्वारा भी लकड़ी तस्करों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसके बाद वन गुर्जरों के एक शिष्टमंडल ने इस मामले में लालकुआँ विधायक को भी पत्र सौंपकर कार्यवाही की मांग की।

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वहीं जब यह मामला मीडिया में पहुंचा तो पता चला की तस्करों ने वहां भारी मात्रा में बेशकीमती खैर के पेड़ों को काटकर उनके छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर इकट्ठा किए हुए थे।वहीं स्थानीय गुर्जरों का कहना है कि पिछले काफी समय से वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर तस्कर लकड़़ियों को काट रहे हैं और वन विभाग आंख बंद कर सोया हुआ है। गुर्जरों का कहना है कि वन संपदा को संरक्षित करना उनका मौलिक अधिकार है। उनके द्वारा जब लकड़ी तस्करी का विरोध किया गया तो उल्टा वनकर्मी लकड़ी तस्करों के साथ मिलकर उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं।

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गुर्जर समुदाय के लोगों ने बताया कि लकड़ी तस्करों द्वारा बेशकीमती खैर के करीब 15 पेड़ों को काटकर उनके छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा था। जब गुर्जरों ने लकड़ी तस्करों को रोकने की कोशिश की तो वे मौके पर ही लकड़ी छोड़कर ट्रैक्टर ट्राली लेकर भाग निकले।

इधर लकड़ी तस्करी की सूचना पर जब मीडियाकर्मी गुर्जर समुदाय के लोगों के साथ जंगल में पहुंचे तो देखा की वहां भारी मात्रा में बेशकीमती खैर के पेड़ कटे हुए थे। वहीं मीडिया कर्मियों के आने की सूचना जब वन विभाग को मिली तो विभागीय कर्मी अपनी कारस्तानी छुपाने के लिए वन तस्करों को साथ लेकर मौके पर पहुंचे और मीडिया कर्मियों से ही उलझ गए तथा मीडिया कर्मियों से बदतमीजी करने लगे। लेकिन मौके पर मौजूद गुर्जर समुदाय के लोगों ने किसी तरह से मीडिया कर्मियों को वहां से बचाकर बाहर सड़क तक छोड़ा।

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वहीं इस मामले में वन विभाग के कुमाऊँ के चीफ धीरज पांडे का कहना है कि किसी भी तरह की वन तस्करी नहीं होनी दी जाएगी और जो लोग भी इसमें दोषी पाए जायेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश प्रभागीय वन अधिकारी को दे दिए हैं।

इधर रंनसाली कार्यालय पहुंचे उप प्रभागीय वनाधिकारी संतोष कुमार पंत का कहना है कि लकड़ी तस्करी एवं खैर के पेड़ कटाई का मामला अभी तक उनके संज्ञान में नहीं है और अभी तक किसी तरह के कोई साक्ष्य भी नहीं मिले हैं कि वहां पर पेड़ों का कटान हुआ है।

वहीं विभागीय कार्रवाई को देखते हुए गुर्जर समुदाय का कहना है कि वन विभाग इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा है। उन्होंने सरकार और वन विभाग के उच्च अधिकारियों से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।