बाजपुर की असवनी को निजी हाथों को सौंपने के खिलाफ कांगेस का जोरदार प्रदर्शन, सरकार पर जमकर बरसे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

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बाजपुर की असवनी को निजी हाथों को सौंपने के खिलाफ कांगेस का जोरदार प्रदर्शन, सरकार पर जमकर बरसे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

बाजपुर। बाजपुर स्थित चीनी मिल की सह इकाई आसवनी को लीज पर देने के विरोध में सरकार के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और भारी संख्या में कांगेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने स्पष्ट किया कि आज सरकार हर फायदा देने वाले संस्थान को निजी हाथों को सौंपने के लिए तैयार बैठी है। लेकिन कांगेस ऐसा नहीं होने देगी।
बाजपुर में आज हजारों कांगेसियों ने नगर में जुलूस निकालने के बाद धरना दिया। इस दौरान धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि बाजपुर चीनी मिल की सह इकाई आसवनी ही क्या हर फायदे वाली संस्था को सरकार निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। आज खनन, चाय बागान, महंगी जमीन पर सरकार की नजर है। सभी को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है।
बाजपुर चीनी मिल का जिक्र करते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1958 में इस चीनी मिल का शिलान्यास किया। विकास पुरुष नारायण दत्त तिवारी ने इसे अंजाम तक पहुंचाया। यह ऐसी चीनी मिल थी, जो लगातार लाभ की स्थिति में थी। भाजपा सरकार ने इस मिल को घाटे में करार देते हुए निजी हाथों में सौंपने की साजिश शुरू कर दी। कांगेस सरकार में उनके प्रयास से यहां बिजली पैदा करने हेतु प्लांट लगाने के लिए 156 करोड़ रुपए स्वीकृत कराए। यदि यह प्लांट लग जाता तो चीनी मिल का घाटा ही खत्म हो जाता। उन्होंने कहा कि इस सरकार के मंत्री गदरपुर, सितारगंज चीनी मिल भी बंद होने से नहीं बचा पा रहे हैं। बाजपुर आसवनी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह लाभ की इकाई है। यहां तैयार होने वाली अंगेजी शराब सेना में भी भेजी जाती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाजपुर चीनी मिल से हजारों परिवारों को लाभ पहुंचता है। हमारी बाजपुर चीनी मिल एक माँ के रूप में हम सभी का ख्याल रखते आयी है।
भाजपा की नीयत यही से स्पष्ट होती है कि खुद तो कभी कुछ नहीं बनाया और 70 सालों से देश के अंदर बनी हुई सारी सरकारी धरोहरों को अपने चंद पूंजीपतियों के निजी हाथों में दे रही है। उसी का एक रूप हमारी बाजपुर चीनी मिल का होने जा रहा है। याद रखो जो ये कह रहे होंगे कि निजी हाथों में चीनी मिल उचित है तो वे कृपया कर गदरपुर और काशीपुर चीनी मिल का हाल देख लेना। खण्डहर बन चुकी हैं ये चीनी मिलें किसानों का करोड़ों रुपया लेकर बैठ गई हैं। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और कांगेसी कार्यकर्ता मौजूद थे।

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