सूदखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई करें अधिकारी : कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत
सूदखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई करें अधिकारी : कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत
हल्द्वानी। कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत की जन सुनवाई के दौरान सूदखोरी और भूमि धोखाधड़ी के कई मामले पहुंच रहे हैं। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त ने पुलिस अधिकारियों को सूदखोरी की पुष्टि होने पर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। जिससे ऐसे मामलों में लिप्त लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।
शनिवार को हल्द्वानी कैंप कार्यालय में जन सुनवाई के दौरान राजपुरा क्षेत्र की तीन महिलाएं सूदखोर द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के मामले लेकर मंडलायुक्त के पास पहुंची। एक महिला ने बताया कि उसने सूदखोर से 15 हजार रुपये का ऋण लिया था। वह अब तक उसे 75 हजार रुपये दे चुकी है। वहीं दूसरी महिला ने बताया कि उसने दुकान खोलने के लिए 1 लाख रुपये का कर्ज लिया था। वह सूदखोर को अब तक 1.25 लाख रुपये दे चुकी हैं। फिर भी सूदखोर द्वारा और रूपयों की मांग की जा रही है। जबकि तीसरी महिला ने 20 हजार रुपये कर्ज के एवज में 40 हजार वसूलने की बात कही। कमिश्नर ने तीनों महिलाओं से सूदखोर को पैसे दिए जाने के प्रमाण मांगे और एफआईआर दर्ज कराए जाने की बात कही।
मंडलायुक्त ने कहा कि ब्याज पर धनराशि का लेनदेन करना कानूनी अपराध है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सूदखोरी के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
वहीं मंडलायुक्त ने जन सुनवाई के दौरान लोगों से स्वरोजगार के लिए सूदखोरों से ऋण लेने के बजाए बैकों से ऋण लेने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा जिन लोगों को स्वरोजगार व अन्य कार्यों के लिए पैसे की आवश्यकता पड़ती है वह बैंकों से लोन ले सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कई योजनाओं की जानकारी भी दी।
बताते चलें कि नैनीताल व उधमसिंह नगर समेत कई जनपदों में आए दिन सूदखोरों के द्वारा लोगों के उत्पीड़न के मामले एक के बाद एक लगातार सामने आ रहे हैं। जिनमें सूदखोर लोगों की मजबूरी का नाजायज़ फायदा उठाकर पहले तो मीठी मीठी बातें कर जरूरतमंद लोगों को पैसे देते हैं और बाद में मनमाना ब्याज जोड़कर लोगों से जबरन कई गुना पैसा वसूलते हैं। वहीं कई मामलों में सूदखोर लोगों के द्वारा जमानत बतौर रखे गए हस्ताक्षर किए हुए सादे चैक में मनमानी रकम भर बैंक में लगाकर चैक बाउंस का मुकदमा तक कर देते हैं। जिसके चलते तमाम लोग अदालत के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ऐसे में सूदखोरों के उत्पीड़न से परेशान होकर कई लोग आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम तक उठाने को मजबूर हो चुके हैं। वहीं पुलिस भी ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए कई सूदखोरों को जेल की सलाखों के पीछे भेज चुकी है। बावजूद इसके सूदखोरों का उत्पीड़न कम नहीं हो रहा है।
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