बड़ी खबर : किसने कहा सिर्फ कागजों पर ही चल रहे थे मदरसे, सर्वे शुरू होते ही एकाएक गायब हो गए ढाई हजार से अधिक मदरसे


सिर्फ कागजों पर ही चल रहे थे मदरसे, सर्वे शुरू होते ही एकाएक गायब हो गए ढाई हजार से अधिक मदरसे : डॉ0 इफ्तिखार अहमद जावेद, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के मदरसों का सर्वे करवा रही है। सर्वे के लिए 13 सितंबर से 5 अक्टूबर तक की समय सीमा निर्धारित की गई है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ0 इफ्तिखार अहमद जावेद का मदरसों के सर्वे को लेकर कहना है कि सर्वे के शुरू होते ही प्रदेश से 2500 मदरसे एकाएक गायब हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो गरीब मुसलमानों के बच्चों को आधुनिक बेहतर शिक्षा देने का पक्षधर होगा, वह मदरसों के सर्वे को गलत नहीं ठहरा सकता। हमें समझना चाहिए कि मदरसों के सर्वे का विरोध अब तक कौन लोग और क्यों कर रहे थे। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे लोग अपने बच्चों को बड़े अंग्रेजी मिशनरी स्कूलों में पढ़ाकर उनके लिए तरक्की का रास्ता खोलना चाहते हैं। जबकि गरीब के बच्चों को धार्मिक शिक्षा तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ0 जावेद ने कहा कि मुसलमानों के गरीब बच्चे भी अब आधुनिक शिक्षा हासिल कर सकेंगे। जिससे उनके विकास के रास्ते खुलेंगे। मदरसों के सर्वे का विरोध करने वाले लोगों पर आगे बोलते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ0 जावेद ने यह भी कहा कि जो लोग मदरसों के सर्वे का विरोध कर रहे थे वे इसे मुसलमानों के आंतरिक मामलों में सरकार का दखल बता रहे थे। लेकिन जब आप केंद्र सरकार से हर साल 3000 करोड़ रुपये की सहायता लेंगे। अनेकों मदरसों में 50 हजार से लेकर लाख रुपये से ज्यादा वेतन लेंगे और उन्हीं मदरसों में सरकार से मिलने वाली बिजली-पानी, सड़क की सुविधा का उपयोग करेंगे, तो यह आपका व्यक्तिगत मामला कैसे रह गया। सरकार को ऐसे संस्थानों के लिए नियम बनाने और इसके हितधारकों की चिंता करने का अधिकार है। इससे कोई बच नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यह सच है कि भारी संख्या में मदरसे केवल कागजों पर चल रहे थे। इनके नाम पर आने वाला चंदे-जकात का पैसा गलत लोगों की जेबों में जा रहा था। जब सर्वे की शुरुआत हुई थी, तब यूपी में 19 हजार से ज्यादा मदरसे होने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब इनकी संख्या केवल 16,513 रह गई है। यानी ढाई हजार से ज्यादा मदरसे एकाएक गायब हो गए। उन्होंने कहा इस सर्वे से गलत हाथों में जाने वाला पैसा बचेगा और यह पैसा गरीब मुसलमानों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च होगा। ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ सके।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 फ़ेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज लाइक और फॉलो करें