ईद-उल-अज़हा, त्याग और समर्पण का त्योहार

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ईद-उल-अज़हा, त्याग और समर्पण का त्योहार

लेखक: ऐजाज हुसैन

ईद-उल-अज़हा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम मज़हब के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पवित्र त्योहार पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) के त्याग, समर्पण और अल्लाह के प्रति अटूट विश्वास की याद दिलाता है। यह त्योहार दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा धूमधाम और पूरी अकीदत के साथ मनाया जाता है।

ऐतिहासिक और मज़हबी महत्व

ईद-उल-अज़हा, का संबंध कुरान-ए-पाक की उस घटना से है, जिसमें अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की आज्ञाकारिता (दिए गए आदेश का पालन करना) की परीक्षा ली थी। अल्लाह ने उनसे अपने सबसे प्रिय की कुर्बानी मांगकर, उनके विश्वास और समर्पण का इम्तिहान लिया। पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) ने बिना किसी संकोच के अल्लाह की आज्ञा (आदेश) का पालन अपने सबसे प्रिय (पुत्र) की कुर्बानी करने का फैसला लिया और जैसे ही वे अपने पुत्र की कुर्बानी देने को तैयार हुए, अल्लाह ने उनकी जगह एक दुम्बा (भेड़) भेजकर उनकी कुर्बानी को स्वीकार किया। यह घटना हमें त्याग, विश्वास और अल्लाह के प्रति समर्पण का संदेश देती है।

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ईद-उल-अज़हा, हज के अंतिम चरण में मनाई जाती है, जो इस्लाम के पांच स्तंभों (आधार) में से एक है। यह त्योहार ज़िलहिज्जा महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है और तीन दिनों तक चलता है।

त्योहार का स्वरूप

ईद-उल-अज़हा, के दिन मुसलमान सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और ईदगाह या मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं। नमाज़ के बाद कुर्बानी की रस्म पूरी की जाती है, जिसमें पशु (जैसे बकरा, भेड़ और ऊंट) की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है। जिसमें एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए तथा तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। यह परंपरा दान, उदारता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देन के लिए प्रोत्साहित करती है।

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ईद-उल-अज़हा का संदेश

ईद-उल-अज़हा, केवल एक मजहबी त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमें त्याग और भाईचारे का महत्व सिखाता है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा विश्वास और समर्पण ही जीवन के उच्चतम मूल्य हैं। कुर्बानी का मांस बांटने की परंपरा सामाजिक एकता और सहानुभूति को बढ़ावा देती है, जो आज के समय में और भी प्रासंगिक है।

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निष्कर्ष

ईद-उल-अज़हा, एक ऐसा त्योहार है, जो हमें निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने और अपने अहंकार को त्यागने की प्रेरणा देता है। यह त्योहार हमें एकजुटता, प्रेम और उदारता के साथ जीवन जीने का संदेश देता है। इस अवसर पर हम सभी को चाहिए कि हम अपने मतभेदों को भूलकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।

ईद-उल-अज़हा की बहुत-बहुत मुबारकबाद