बुलडोजर नीति : यहाँ अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान झोपड़ी में जलकर मां-बेटी की दर्दनाक मौत, एसडीएम, थाना प्रभारी समेत कई अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज

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बुलडोजर नीति : अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान झोपड़ी में जलकर मां-बेटी की दर्दनाक मौत, एसडीएम, थाना प्रभारी समेत कई अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान एक हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस और प्रशासन की बड़ी लापरवाही की वजह से एक मां और बेटी की आग में जलकर दर्दनाक मौत हो गई। ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के सामने कब्जेदार की झोपड़ी में संदिग्ध हालत में आग लग गई। झोपड़ी को जलता देख मां-बेटी झोपड़ी में घुस गई। जिसमें मां और बेटी की मौत हो गई है।

घटना कानपुर जिले के रूरा थाना इलाके के मड़ौली गांव की है। गांव में अवैध अतिक्रमण हटाने गए तहसील प्रशासन की कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिजनों से नोकझोंक हो गई। बताया जा रहा है कि झोपड़ी के अंदर कृष्ण गोपाल की पत्नी और बेटी मौजूद थीं, तभी प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया। जैसे ही बुलडोजर झोपड़ी को तहस-नहस करने लगा, वैसे ही वहां अचानक आग भड़क उठी। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया। इसमें कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला दीक्षित और उनकी 23 साल की बेटी नेहा दीक्षित की जिंदा जलकर मौत हो गई। धधकती आग को बुझाने में कृष्ण गोपाल भी बुरी तरह से झुलस गए।

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वहीं इस हृदयविदारक घटना के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। प्रदेश सरकार में मंत्री प्रतिभा शुक्ला मृतक परिवार से मिलने के लिए पहुंची। सपा, कांग्रेस से लेकर सभी विपक्षी दल इस घटना के बाद सरकार को घेरने की तैयारी जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर लिखा कि कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही। अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है। क्या ‘महिला सशक्तिकरण’ व ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात केवल कागजी नीति है।

वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर लिखा, कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासन की टीम के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशबीन बनी रही। अतिक्रमण हटाने का यह कौन सा तरीका है कि लोग दुनिया से ही हट जाएं? बाबा! अपनी बुलडोजर नीति को अब भी सम्भालिए या इस खूबसूरत धरती को श्मसान बना कर ही मानेंगे?
इधर इस घटना के बाद एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद और रूरा थाना प्रभारी दिनेश कुमार गौतम व लेखपाल अशोक सिंह के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। इन लोगों को इस पूरी घटना का दोषी बताया जा रहा है। इन लोगों पर आरोप है कि कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिवार को इन लोगों ने झोपड़ी में जबरन कैद किया और इसे आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद मंडोली गांव में पुलिस और प्रशासन पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद कानपुर रेंज के आईजी, एडीजी और कमिश्नर मौके पर पहुंचे। परिवार वालों का आरोप है कि कानपुर देहात और नगर के अधिकारियों ने इस गांव को छावनी में तब्दील कर दिया है। कृष्ण कुमार दीक्षित का कहना है कि वह यहां काफी लंबे समय से रह रहे थे। परिवार के रिश्तेदारों ने पुलिस के साथ मिलकर हमारे खिलाफ यह अभियान किया है। इन लोगों ने अधिकारियों के साथ मिलकर झोपड़ी में आग लगवा दी, जिसमे मेरी पत्नी और बेटी की मौत हो गई।

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वहीं कानपुर देहात पुलिस ने इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस घटना में जिन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है, उनमें एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, रूरा एसओ दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, जेसीबी ड्राइवर दीपक, मड़ौली गांव के निवासी अशोक, अनिल, निर्मल और विशाल हैं। 12 अज्ञात लोगों, तीन लेखपाल और 12 से 15 महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहीं मां-बेटी ने अपने आपको आग लगा ली जिसके बाद उनकी मौत हो गई। यह घटना अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हुई।

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बताया जा रहा है कि मां-बेटी चिल्लाती रहीं कि हम जान दे देंगे, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी। पुलिस ने इस पर मामले में कार्यवाई करते हुए जेसीबी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि बाकी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जा रही है।