बड़ी खबर : बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं व चिकित्सकों की कमी तथा एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा से महरूम करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हल्दूचौड़ मरीजों के लिए साबित हो रहा सफेद हाथी
बड़ी खबर : बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं व चिकित्सकों की कमी तथा एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा से महरूम करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हल्दूचौड़ मरीजों के लिए साबित हो रहा सफेद हाथी
रिपोर्ट- ऐजाज जर्नलिस्ट
हल्दूचौड़। उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देशों के उपरांत बमुश्किल शुरू किया गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हल्दूचौड़ बेहतर स्वास्थ्य योजनाओं के इंतजार में क्षेत्र वासियों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। यह स्वास्थ्य केंद्र अपने शुरुआती दौर में ही तमाम खामियों से जुझता दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती तो दूर की बात फिलहाल यहां सामान्य चिकित्सक भी कम संख्या में तैनात हैं। साथ ही एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी जांच मशीनों के ना होने से यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मजबूरन हल्द्वानी स्थित निजी लैबों में जाना पड़ रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो करोड़ों रुपये की लागत से बना यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के मरीजों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है।
क्षेत्र की दर्जनों ग्राम पंचायतों के अलावा लालकुआं और बिंदुखत्ता क्षेत्र के लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराए जाने के मकसद से बनाए गए इस 30 बैड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी सुविधाएं भी नदारद हैं। इनके लिए मरीजों को दूसरे शहरों के निजी सेंटरों की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कतें गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को उठानी पड़ रही हैं।
बता दें कांग्रेस शासन काल में वर्ष 2014 स्वीकृत उक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण और लोकार्पण में वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन होते ही एक तरह से ग्रहण लग गया। ग्रामीणों की लगातार मांग के बावजूद इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को लेकर जिम्मेदारों द्वारा बरती जा रही उदासीनता से खिन्न होकर स्थानीय निवासी वरिष्ठ समाजसेवी सेवानिवृत प्रधानाचार्य गोविंद बल्लभ भट्ट व हेमंत गौनिया द्वारा उक्त प्रकरण को उत्तराखंड हाईकोर्ट की शरण में ले जाए जाने के उपरांत न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में सरकार द्वारा इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण तो कर दिया गया। किन्तु आज तक इस केंद्र में एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड जैसी अति आवश्यकीय सुविधाएं तक सरकार उपलब्ध नहीं करा पाई है। जो कहीं ना कहीं सरकार की जनस्वास्थ्य को लेकर बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।
वहीं यहां 30 बैड का यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना तो दिया गया है, लेकिन फिलहाल इसमें सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बद्तर हैं। 30 शैय्याओं वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान में केवल दो चिकित्सक ही बैठते हैं। लेकिन पर्याप्त संसाधनों के अभाव में यह चिकित्सक भी मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। वर्तमान में इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को सामान्य बुखार, सर्दी, खांसी आदि की दवाएं ही मिल पाती हैं। इन दवाओं से ठीक न होने की स्थिति में मरीज अन्य शहरों में जाकर अपना महंगा इलाज कराने को विवश हैं। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर तबके के मरीजों को स्थानीय अप्रशिक्षित चिकित्सकों (झोलाछाप डाॅक्टर) के यहां इलाज कराकर अपनी जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
वहीं इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आने वाली महिला मरीजों का कहना है कि यहां के चिकित्सक उन्हें अल्ट्रासाउंड करने की सलाह देते हैं जिसके चलते उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए हल्द्वानी आदि शहरों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ता है। वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक किसी महिला चिकित्सक को तैनात नहीं किया गया है जिसके चलते महिलाओं को किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर यहां तैनात पुरुष चिकित्सक से ही परामर्श लेना पड़ता है। कई मामलों में तो महिलाएं झिझक के कारण बिना चिकित्सकीय परामर्श लिए ही वापस लौट जाती हैं।
वहीं इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सुधीर कन्याल द्वारा केंद्र में मौजूद सुविधाओं से ही मरीजों को बेहतर इलाज देने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। साथ ही महिला चिकित्सक की तैनाती व एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीन आदि की व्यवस्थाओं को लेकर उनके द्वारा लगातार उच्चाधिकारियों पत्राचार किया जा रहा है। अब देखना यह है कि हजारों क्षेत्र वासियों के स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले को लेकर अब तक कुंभकर्ण की नींद में सोई सरकार और उसके नुमाइंदे आखिरकार गहरी नींद से कब जागते हैं।
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